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PG Portal (Public grievance portal) क्या हैं ?

देश की अर्थव्यवस्था को सुचारू रूप से बनाए रखने के लिए शासन द्वारा अलग अलग विभाग बनाए हैं। इन विभागों को प्रमुखता सरकारी एवं गैर सरकारी विभाग में बांटा गया है। पर यदि आपको किसी सरकारी विभाग के संबंध में कोई जानकारी  चाहिए या शिकायत करनी है तो इसके लिए भी एक पोर्टल बनाया गया है जिसका नाम है PG portal

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आज के इस लेख के माध्यम से हम आपको पीजीपोर्टल क्या है? कैसे उपयोग करें और कैसे यह आपकी समस्याओं का समाधान कर सकता है। सारी जानकारियां आपके लिए इस आर्टिकल में लेकर हाजिर है। तो इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़ें आइए जानते हैं

PG Portal (Public grievance portal) 2021 क्या हैं ? 

PG Portal भारतीय सरकार द्वारा जारी किया गया एक ऐसा पोर्टल है जहां लोग किसी भी सरकारी विभाग से संबंधित अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।PG Portal के द्वारा भारतीय सरकार भारतीयों को ऐसे सुविधा प्रदान करना चाहता है या यूं कहें कि ऐसा प्लेटफार्म प्रदान करना चाहता है जहां लोग अपनी सरकारी शिकायतों या समस्याओं का समाधान प्राप्त कर सकें। 

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📷📷PG Portal

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पब्लिक ग्रीवांस पोर्टल को केंद्रीयकृत लोक शिकायत निवारण सीपीजीआरएएमएस (CPGRAMS) और (CPGRAMS) निगरानी प्रणाली राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC), लोक शिकायत निदेशालय (Directorate of Public Grievances-DPG) और प्रशासनिक सुधार व लोक शिकायत विभाग (DARPG) ने एक साथ मिलकर बनाया है। 

भारतीय सरकार द्वारा जारी किए गए पीजीपोर्टल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस पोर्टल के अंतर्गत लोग 24/7 शिकायत दर्ज कर सकते हैं। 

Pg portal की पूरी जानकारी 

लोगों की शिकायत को सुनने के लिए बनाया गया पीजीपोर्टल आज लाखों हिंदुस्तानियों की मदद कर रहा है। पीजी पोर्टल को केंद्रीय सरकार ने बनाया था। pg portal योजना को साल 2016 में लांच किया गया था। pg portal के अंतर्गत विशेष तौर पर उन लोगों को लाभ प्राप्त होगा जो सरकारी कर्मचारियों काम करने से नाखुश है या परेशान हैं। pg portal के आधिकारिक वेबसाइट का नाम pgportal.gov.in हैं। चुकी pg portal को केंद्रीय सरकार द्वारा जारी किया गया है तो इस पोर्टल का लाभ इंडिया के सभी नागरिकों को होगा। 

PG Portal में रजिस्ट्रेशन कैसे करें ? 

अगर आप pg portal में अपनी शिकायत दर्ज करने के बारे में सोच रहे हैं तो आपको सबसे पहले पीजीपोर्टल में रजिस्ट्रेशन करना होगा। pg portal में रजिस्ट्रेशन कैसे करते हैं इसकी स्टेप बाय स्टेप जानकारी हमें नीचे शेयर की है। जिसे फॉलो करके आप कुछ ही मिनट में इस पोर्टल में रजिस्ट्रेशन कर पाएंगे। 

Step.1 pg portal में रजिस्ट्रेशन करने के लिए आपको सबसे पहले इस पोर्टल के अधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा। आप चाहे तो नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके सीधे इस वेबसाइट पर जा सकते हैं। 

https://pgportal.gov.in/Home/LodgeGrievance 

Step.2 लिंक पर क्लिक करके जैसे ही आप वेबसाइट पर पहुंचेंगे वैसे ही आपको दो ऑप्शन दिखाई देंगे। पहला ऑप्शन उन लोगों के लिए है जो इस पोर्टल में पहले से ही रजिस्टर है और जो लोग रजिस्टर्ड नहीं है वह “click here to register” के ऑप्शन पर क्लिक करें। 

Step.3 जैसे ही आप इस ऑप्शन पर क्लिक करेंगे वैसे आपके सामने एक नया पेज ओपन होगा। इस पेज में आपको रजिस्ट्रेशन फॉर्म देखने को मिलेगा। 

Step.4 इस रजिस्ट्रेशन फॉर्म में आप अपना नाम, एड्रेस, डिस्ट्रिक्ट, पिन कोड, मोबाइल नंबर, ईमेल ऐड्रेस डाल दीजिए और उसके बाद captcha verify करके save बटन पर क्लिक कर दीजिए। 

Step.5 आपके save बटन पर क्लिक करते ही आपके ईमेल पर एक मैसेज आएगा जहां पर आपको एक लिंक पर क्लिक करने के लिए बोला जाएगा। 

Step.6 आप उस लिंक पर क्लिक कर दीजिए। लिंक पर क्लिक करने के बाद आपके सामने एक नया पेज ओपन होगा जिसमें आपको अपना username और password create करना होगा। 

Step.7 Username और Password create कर लेने के बाद आप captcha code verified कर लीजिए और फिर submit के बटन पर क्लिक कीजिए। 

आपके सबमिट बटन पर क्लिक करते ही आपके मोबाइल पर मैसेज आएगा कि आपका pg portal पर रजिस्ट्रेशन सक्सेसफुली पूरा हो चुका है। 

PG Portal में शिकायत दर्ज कैसे करते हैं ?

Pg portal में शिकायत दर्ज करने के लिए सबसे पहले आपको इसके वेबसाइट पर जाना होगा। 

https://pgportal.gov.in/

#1. Pg portal पर जाने के बाद आप सबसे पहले अपना यूजर नेम और पासवर्ड डालकर साइन इन कर लीजिए। 

#2. Pg portal में साइन इन करने के बाद “Lodge Public Grievance” के विकल्प पर क्लिक कीजिए। 

#3. इस विकल्प पर क्लिक करने के बाद आपके सामने शिकायत पंजीकरण फार्म ओपन हो जाएगा। 

#4. फॉर्म भरने से पहले आपको यह चुनना होगा कि आप अपनी शिकायत केंद्र सरकार के पास भेजना चाहते हैं या फिर राज्य सरकार के पास। 

#5. इसके बाद आपको Dropdown बॉक्स पर क्लिक करके शिकायत के विभाग को चुनना है। सरकार के जिस विभाग के लिए आप शिकायत करना चाहते हैं।

अगर वह यहां पर है तो उसे सिलेक्ट कर लीजिए लेकिन अगर वह यहां नहीं है तो NOT KNOWN / NOT LISTED के विकल्प पर क्लिक कीजिए। 

Note – इस विकल्प को चुनने पर प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग शिकायत की समीक्षा के संबंधित विभाग के अंतर्गत आपकी शिकायत दर्ज की जाएगी। 

विभाग चुन लेने के बाद आपको फॉर्म में अपनी पूरी जानकारी जैसे नाम एड्रेस मोबाइल नंबर लिखना है। 

फॉर्म के नीचे आपको शिकायत दर्ज करने का एक स्थान दिखाई देगा आप चाहे तो डायरेक्ट ही अपनी शिकायत लिखकर दर्ज कर सकते हैं या फिर आप पीडीएफ के फॉर्म में अपनी शिकायत अटैच कर सकते हैं। 

सारी जानकारियों को भरने और अपनी शिकायत दर्ज करने के बाद आप कैप्चा कोड वेरीफाइड कीजिए और फिर सबमिट बटन पर क्लिक कर दीजिए। 

जैसे ही आप सबमिट बटन पर क्लिक करेंगे वैसे ही पीजीपोर्टल में आप की शिकायत दर्ज हो जाएगी। शिकायत दर्ज होने के बाद आप इस पोर्टल में अपनी शिकायत के स्टेटस को चेक कर सकते हैं।

मतलब यह है कि आपकी शिकायत पर क्या कार्यवाही की गई है या फिर उस की कारवाही कहां तक पहुंची है यह आप जान सकते हैं। 

PG Portal पर स्टेटस कैसे चेक करे ? 

अगर आपने pg portal में अपनी शिकायत को दर्ज किया है तो अब आप इस portal में जाकर अपनी शिकायत की स्टेटस भी चेक कर सकते हैं। pg portal में स्टेटस चेक करने के लिए आप नीचे दिए गए स्टेप्स को फॉलो कीजिए। 

• pg portal में जाकर अपना grievance status चेक करने के लिए आपको सबसे पहले इसकी आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा। 

• अगर आप सीधे pg portal के स्टेटस चेक करने वाले पेज पर जाना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कीजिए। 

https://pgportal.gov.in/Status 

• pg portal में अपना grievance status चेक करने के लिए आपको अपना रजिस्ट्रेशन नंबर मोबाइल नंबर डालना है और फिर security code डालकर सबमिट बटन पर क्लिक करना है। 

• आपके सबमिट बटन पर क्लिक करते ही आपके सामने pg portal में दर्ज की गई आप के शिकायत की grievance status show होने लगेगी। 

तो इस तरह आप बड़ी आसानी से pg portal के अंतर्गत अपने शिकायत की स्टेटस को भी चेक कर सकते हैं।

PG Portal में किन मुद्दों का समाधान नहीं है ? 

वैसे तो पीजीपोर्टल के अंतर्गत सरकार ने दावा किया है कि वह सभी सरकारी विभाग की शिकायतों पर काम करेंगे लेकिन कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिस पर यह विभाग काम नहीं करती और उन मुद्दों के बारे में हमने नीचे बताया है – 

• कोर्ट द्वारा अगर किसी मामले पर फैसला सुनाया जा चुका है तो ऐसे हालत पर मामले में दोबारा एक फैसला नहीं सुनाया जाएगा। 

• व्यक्तिगत और पारिवारिक विवादों के मुद्दों का समाधान इस पोर्टल पर नहीं मिलेगा। 

• RTI से संबंधित किसी भी मामले में पीजीपोर्टल कोई कदम नहीं उठाएगा। 

• ऐसा कोई मुद्दा जिससे देश की अन्य देश के साथ मित्रता पर त्रुटि आए उस मुद्दे पर इसमें काम नहीं की जाएगी। 

• इस पोर्टल पर आप किसी भी तरह का कोई सुझाव सरकार को नहीं दे सकते हैं। 

ऊपर बताए गए इन सभी मुद्दों के अलावा आप किसी भी मत दे की शिकायत pg portal पर दर्ज कर सकते हैं। 

PG Portal Time Period

कई सारे लोग जाने के लिए इच्छुक हैं कि क्या pg portal पर शिकायत दर्ज करने की कोई समयावधि होती है या नहीं तो हम आपको बताना चाहेंगे कि पीजीपोर्टल पर शिकायत दर्ज करने की कोई सीमा अवधि नहीं है व्यक्ति सप्ताह के सातों दिन 24 घंटे में कभी भी अपनी शिकायत इस पोर्टल में दर्ज कर सकते हैं। 

FAQ 

Pg portal कैसा पोर्टल है? 

Pg portal सरकारी विभाग के खिलाफ शिकायत दर्ज करने वाला एक पोर्टल है जिसे केंद्रीय सरकार ने बनाया है। 

Pg portal के अंतर्गत शिकायतों के निवारण के समय अवधि क्या है ? 

Pg portal के अंतर्गत शिकायतों के निवारण के समय अवधि 60 दिनों की मानी जाती है।

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मिर्च की खेती कब और कैसे करें

मिर्च की खेती मुख्यतः नगदी फसल के रूप में की जाती है। इसकी खेती से लगभग 85-90 हजार रुपए/हेक्टेयर आमदनी होती है। मिर्च की फसल की विविधता, मौसम और जलवायु, उर्वरता और जल प्रबंधन के आधार पर लगभग 160-180 दिन है ।

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📷📷मिर्च की खेती कैसे करें

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मिर्च की वृद्धि में वनस्पति और प्रजनन चरण शामिल हैं। सामान्य तौर पर, मिर्च में वनस्पति चरण 75-85 दिनों तक फैला रहता है और इसके बाद प्रजनन चरण के 75-95 दिन होते हैं दृष्टि से देखा जाये, तो यह हमारे शरीर के लिए काफी फायदेमंद है, क्योंकि इसमें विटामिन ए, सी फॉस्फोरस, कैल्शियम समेत कई कुछ लवण पाये जाते है. 

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भारतीय घरों में मिर्च का अचार, मसालों और सब्जी की तरह उपयोग किया जाता है.मिर्च की खेती अगर वैज्ञानिक तकनीक से की जाए तो इसकी पैदावार अधिक हो सकती है. भारत में हरी मिर्च का उत्पादन आंध्र प्रदेश,तामिलनाडु,कर्नाटक, महाराष्ट्र, उड़ीसा और राजस्थान में किया जाता है. हरी  मिर्च में कैप्साइसिन रसायन होता है. जिसकी वजह से इसमें तीखापन रहता है

जलवायु 

मिर्च की खेती के लिए 15-35 डिग्री सेल्सियस तापमान होना सही रहता है. इसकी खेती के लिए गर्म आर्द जलवायु उपयुक्त है क्योंकि पाला फसल को नुकसान पहुंचाता है. अच्छी वृद्धि तथा उपज के लिए उष्णीय और उप उष्णीय जलवायु की आवश्यकता होती है। प्रतिकूल तापमान तथा जल की कमी से कलियाँ, पुष्प एवं फल गिर जाते हैं। हरी मिर्च की खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु उपयुक्त रहती है. वैसे इसकी खेती हर तरह की जलवायु में हो सकती है. तो वहीं इसके लिए ज्यादा ठंड व गर्मी दोनों ही हानिकारक होते है. इसके पौधे को करीब 100 सेंटीमीटर वर्षा वाले क्षेत्रों में उगाया जा सकता है. इसके अलावा हरी मिर्च की फसल पर पाले का प्रकोप अधिक होता है। 

📷📷हरी मिर्च की खेती कब और कैसे करें

मिर्च की उन्नत किस्में  

मिर्च की कुछ प्रचलित उन्नत और संकर किस्मे इस प्रकार है, 

मसाले हेतु किस्में- पूसा ज्वाला, पन्त सी- 1, एन पी- 46 ए, आर्को लोहित, पंजाब लाल, आंध्र ज्योति और जहवार मिर्च- 283 जहवार मिर्च- 148, कल्याणपुर चमन, भाग्य लक्ष्मी, आदि प्रमुख है| 

आचार हेतु किस्में– केलिफोर्निया वंडर, चायनीज जायंट, येलो वंडर, हाइब्रिड भारत, अर्का मोहिनी, अर्का गौरव, अर्का मेघना, अर्का बसंत, सिटी, काशी अर्ली, तेजस्विनी, आर्का हरित और पूसा सदाबहार (एल जी- 1) आदि प्रमुख है|

अन्य किस्मे

  • काशी अनमोल
  • काशी विश्वनाथ
  • जवाहर मिर्च – 218
  • अर्का सुफल
  • एचपीएच-1900 – 2680,
  • यूएस-611-720
  • काशी अर्ली
  • काशी सुर्ख या काशी हरित 

मिर्च की नर्सरी तैयार करना 

मिर्च की नर्सरी तैयार करने के लिए ऐसे स्थान का चुनाव करें जहां पर पर्याप्त मात्रा में धूप आती हो तथा बीजों की बुवाई 3 गुणा 1 मीटर आकार की भूमि से 20 सेमी ऊँची उठी क्यारी में करें।  मिर्च की पौधशाला की तैयारी के समय 2-3 टोकरी पूर्णतया सड़ी गोबर खाद 50 ग्राम फोटेट दवा / क्यारी मिट्टी में मिलाऐं। बुवाई के 1 दिन पूर्व कार्बेंडाजिम दवा 1.5 ग्राम/ली. पानी की दर से क्यारी में टोहा करे। अगले दिन क्यारी में 5 सेमी दूरी पर 0.5-1 सेमी गहरी नालियां बनाकर बीज बुवाई करें।

जरुरत के हिसाब से पौधशाला में फव्वारें से पानी देते रहना चाहिए.गर्मियों में दोपहर के बाद एक दिन के अंतर पर पानी छिड़ देना चाहिए, क्योंकि गर्मी के मौसम में एग्रो नेट का प्रयोग करने से भी भूमि में नमी जल्दी उठ जाती हैं.

भूमि का चयन

मिर्च की खेती को अच्छे जल-निकास वाली प्रायः सभी प्रकार की भूमि में पैदा किया जा सकता है| फिर भी जीवांशयुक्त दोमट या बलुई मिटटी जिसमें कार्बनिक पदार्थ की मात्रा अधिक हो सबसे उपुयक्त मानी जाती  है| लवण और क्षार युक्त भूमि इसके लिए उपयुक्त नहीं होती है| लवण वाली भूमि इसके अंकुरण और प्रारंभिक विकास को प्रभावित करती हैं| मिर्च के लिए मिटटी का पी एच मान 6.5 से 7.5 सर्वोतम है, लेकिन इसको 8 पी एच मान (वर्टीसोल्स) वाली मिटटी में भी उगाया जा सकता है|

खेत की तैयारी

मिर्च की खेती को तैयारी 4-5 गहरी जुताई और हर बार जुताई के बाद पट्टा देकर खेत को अच्छी तरह समतल  कर लें। इसी समय अच्छी तरह सड़े गोबर की खाद 10 टन प्रति एकड़ के हिसाब से डाले। खाद यदि अच्छी तरह सड़ी नही होगा तो दीमक लगने का भय रहता है

पोषक तत्व प्रबंधन

मिर्च की फसल में उर्वकों का प्रयोग मिटटी परीक्षण के आधार पर करें| सामन्यतः एक हेक्टेयर क्षेत्रफल मे 25 -30 टन गोबर की पूर्णतः सड़ी हुयी खाद खेत की तैयारी के समय मिलायें| नाइट्रोजन  120 से 150 किलोग्राम, फास्फोरस 60 किलोग्राम तथा पोटाष 80 किलोग्राम का प्रयोग करें|

पौध रोपाई

नर्सरी में बुवाई के 4 से 6 सप्ताह बाद पौधे रोपने योग्य हो जाती है| गर्मी की फसल में कतार से कतार की दूरी 60 सेन्टीमीटर तथा पौधे से पौधे के बीच की दूरी 30 से 45 सेन्टीमीटर रखें|

खरीफ की फसल के लिए कतार से कतार की दूरी 45 सेन्टीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 30 से 45 सेन्टीमीटर रखें रोपाईं सायं के समय करे और रोपाई के बाद तुरन्त सिंचाई करें|

📷📷मिर्च की खेती से लाभ

सिचाई व निराई गुड़ाई  

पहली सिंचाई पौध प्रतिरोपण के बाद कर देनी चाहिए. अगर गर्मियों का मौसम है, तो हर 5- 7 और सर्दी का मौसम है, तो करीब 10 से 12 दिनों में फसल को सींचना चाहिए. फसल में फूल व फल बनते समय सिंचाई करना जरुरी है. अगर इस वक्त सिंचाई नहीं की जाए, तो फल व फूल छोटी अवस्था में गिर जाते हैं. ध्यान रहे कि मिर्च की फसल में पानी का जमाव भी न हो

रोग एवं रोकथाम  

इसकी खेती मे लगने वाले रोंगों मे मुख्य रूप से जड़ गलन( आद्रगलन), पती गलन, स्यूडोमोनस सोलेनेसियेरम, प्रण कुंचन (पत्तिया सुखना ) जैसे रोंग है, जो मिर्ची की खेती को प्रभावित करते है

झुलस रोग : यह मिट्टी में पैदा होने वाली बीमारी है और ज्यादातर कम निकास वाली ज़मीनों में और सही ढंग से खेती ना करने वाले क्षेत्रों में पाई जाती है।यह फाइटोफथोरा कैपसीसी नाम की फंगस के कारण होता है। फसल को बचाने के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 250 ग्राम प्रति 150 पानी की स्प्रे करें। 

पत्तों पर सफेद धब्बे : यह बीमारी पौधे को अपने खाने के तौर पर प्रयोग करती है, जिससे पौधा कमज़ोर हो जाता है। यह बीमारी विशेष तौर पर फलों के गुच्छे बनने पर या उससे पहले, पुराने पत्तों पर हमला करती है इस बीमारी से पत्तों के नीचे की ओर सफेद रंग के धब्बे दिखाई देते हैं। यह किसी भी समय फसल पर हमला कर सकती है। इसको फैलने से रोकने लिए पानी में घुलनशील सलफर 20 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी की 2-3 स्प्रे 10 दिनों के अंतर पर करें।

पत्ती मरोड़ रोग: इस रोग को कुकड़ा और चुरड़ा -मुरड़ा रोग के नाम से भी जाना जाता है। पत्ती मरोड़ रोग थ्रिप्स और माइट जैसे कीटों के कारण होता है।इस रोग के फैलने का मुख्य कारण हैं सफेद मक्खियां, जो इस रोग को एक पौधे से दूसरे पौधे में फैलाने का काम करती हैं। इस रोग के बढ़ने पर पौधों का विकास रुक जाता है। जिसके फलस्वरूप मिर्च की पैदावार में कमी आ जाती है।

सफेद मक्खी : यह पौधों का रस चूसती है और उन्हें कमज़ोर कर देती है। यह शहद जैसा पदार्थ छोड़ते हैं, जिससे पत्तों के ऊपर दानेदार काले रंग की फंगस जम जाती है। यह पत्ता मरोड़ रोग को फैलाने में मदद करते हैं

सफेद मक्खियों पर नियंत्रण के लिए प्रति लीटर पानी में 5 मिलीलीटर नीम का तेल मिला कर छिड़काव करें।

थ्रिप्स के प्रकोप को कम करने के लिए प्रति 5 लीटर पानी में 30 मिलीलीटर ट्राइजोफॉस 40 ई.सी मिला कर छिड़काव करें।यदि मिर्च के पौधों पर थ्रिप्स और माइट दोनों का प्रकोप हुआ है तो कीटनाशक और माइटीसाइड दोनों का छिड़काव करना चाहिए

कीट से प्रभावित पौधों को एकत्र करके नष्ट कर दें। खेत को खरपतवार से मुक्त रखें। प्रोपाइगाठ 57 ईसी की 3.5 एमएल एक लीटर पानी में घोल बनाएं अथवा घुलनशील सल्फर दो ग्राम एक लीटर पानी में घोल बना कर 15 दिनों के अंतराल में दो-तीन छिड़काव करें। 

फल तोड़ाई 

हरी मिर्च के लिए तोड़ाई फल लगने के लगभग 15 से 20 दिनों बाद कर सकते हैं. पहली और दूसरी तोड़ाई में लगभग 12 से 15 दिनों का अंतर रख सकते है. फल की तोड़ाई अच्छी तरह से तैयार होने पर ही करनी चाहिए

पैदावार 

अगर इसकी खेती वैज्ञानिक तरीके से की जाए, तो इसकी पैदावार लगभग 150 से 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और 15 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर सूखी लाल मिर्च प्राप्त की जा सकती है. पैकिंग के लिए मिर्चें को पक्की और लाल रंग की होने पर तोड़ें। सुखाने के लिए प्रयोग की जाने वाली मिर्चों की पूरी तरह पकने के बाद ही तुड़ाई करें।

Q.1 हरी मिर्च कब बोई जाती है?

Ans पहली फसल के लिए होली के आसपास खेतों को तैयार कर मिर्च की बुआई की जाती है। एक-डेढ़ माह बाद मिर्ची लगनी शुरू हो जाती है। इसके अलावा जून माह में बुआई के बाद जुलाई में मिर्ची उतरनी शुरू हो जाती है।

Q.2 मिर्ची की अच्छी वैरायटी कौन सी है?

Ans पूसा ज्वाला

Q.3 भारत की सबसे बड़ी मिर्च मंडी कहाँ है?

Ans देश की पहली और सबसे बड़ी मिर्च मंडी आंध्रप्रदेश के गुंटूर में है. यहां सबसे ज्यादा मिर्च की खरीद-बिक्री होती है.

Q.4 भारत में मिर्च का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य कौन सा है? 

Ans आंध्र प्रदेश

Q.5 मिर्च मे पाये जाने वाले पोषक तत्व कौन से हैं?

Ans विटामिन ‘ए’ और ‘सी’, फास्फोरस और कैल्शियम प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं|

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