Rise To Smileeee……😃😇😆☀️

Ghosts do not exist. A lady with neatly combed hair, yellow sari, and an unusual wide grin.. who stood in the cornor of my study room from class 4th to 7th, doing nothing but stare at me directly all the time, must have been my childish imagination.

https://twitter.com/i/status/1058626182122360833

"सीख कर गया वो मुहब्बत मुझसे.. अब जिस से भी करेगा बेमिसाल करेगा.”

 

Love 

Is a bright star 

Glowing in far Southern skies. 

Look too hard 

And its burning flame 

Will always hurt your eyes.

 

Love 

Is a high mountain 

Stark in a windy sky. 

If you 

Would never lose your breath 

Do not climb too high.


-L Hughes

One of my favorites ❤️ 🎼 😊  Good night doston...  

https://www.youtube.com/watch?v=K-Ts-NFR62o

Wishing Dirac a very happy Diwali.

Wishing Schrodinger (Tukki) aka maau, a very happy Diwali.

Wishing you all a very happy Diwali

फरेबी जज्बात ,नकली आंशु , सब मोहमाया था !! बरसों तलक सोचते रहे , खुदा मेहबूब बनकर आया था !!

Pehle pee kar aesi baatein nikalti thi..aaj bina piye hi emotional ho rha hu... Bohot miss karte hain hum aap ko aaj bhi. Ek suffocation hota hai tumhare baare me sochta hu to.. Ye november to kuchh zada hi yaad dilaati hai tumhari.. Thand me raat ko hostel ki chhad pe jaa ke baat krta tha tumse.. Yaad hai na, wo network issues.. Lagatar 2 min to baat hoti hi nhi thi tumse.. Roommates se chhup kar volume low karke tumhare voice msgs sunta tha, earphones damaged tha.. Hike theme wala owl aaj bhi tumko utna hi miss karta hai jitna mai.. Kaise bhondu ki tarah shakal bana kar hum log ki saari baatein padhta tha.. Naughty owl tha.. Ab tak to tumhari shadi vaadi ho gyi hogi.. Hui bhi hogi to btana mat kabhi..thoda sa dard hoga.. By God kabhi nhi socha tha tumhe itna miss karunga..Prabhu se prarthana hai Devdas na ban jau bas ;) #❤️Schrodinger

 

Does any one have idea about pgdbf po exams???? I will be appearing for canara pgdbf... Cleared RRB PO and wrote SBI PO mains... 

so how is it diff... and what should be the strategy????

सब नही करते ना कर सकेंगे , नशा शायरी का यह तो वह नशा है, ज़ो एहसासों के नवाब करते हैं !!!!

Kuch toh tha..tum nafrat thi ya muhabat..maalum nahi..magar kuch toh tha..aaj fir tere sheher main aa khud se pucha..kya pagalpan tha ya jaadu...sawal k wajood pe sawal aaya.. ek awaz aayi kuch naa tha..

Kaise ho dosto.. koi pehchanta h mujhe kya 😄 

https://pbs.twimg.com/media/Drpg_nGUwAEDFqL.jpg

Dekhne pe tuje fir majboor hua woh, jo kehta tha yaaron se, Mulaqat hogi ab maut aane k baad #shittythoughts#november

Happy Chhat🙏 ... Voice(2.40-3.18)💜😍 https://youtu.be/DG8F-csoRAQ

Happy birthday bro @tRoll_master .😇🍫🎂🎉🎉🎊🎊

Praising what is lost makes the remembrance dear. #shakespeare

बहुत ही शिद्दत से पोस्ट लिख रहे हैं पूरा जरूर पढियेगा I इंग्लिश मे पूरा पोस्ट लिख सकते थे (और जोकि मेरे लिए आसान भी है) परन्तु हिंदी मे अपनों शब्दों को पिरोना एक अलग ही कला है। बात 2017 की है जब हम रेलवे की नौकरी छोड़ के घर आके बैठ गए, नाइट शिफ्ट और जंगल की बोरियत से ऊब चुके थे हम। ( हालांकि ट्रेनिंग के वक़्त हमको सहकर्मी लोग समझाये थे की "ढेर बाबा काहे बनते हैँ, तपाक से जवाब दीजियेगा तो कौनो मैडल नहीं मिलेगा". पर हम तो ठहरे ठेठ गवार तुरंत ही जवाब दे देते थे कौनो प्रश्न का, पहला नौकरी था सोचते थे जब टैलेंट है तो दिखाने मे का हर्ज़ है। इसका परिणाम ये हुआ कि सब अफसर लोग मिलके हमको राउरकेला के घना जंगल मे पोस्टिंग दे दिया और हमारे सहकर्मियों को रांची टाउन मे।रेलवे का अपना ही निहित वाक्य है "बने रहो पगला काम करेगा अगला" ) घरवाले बार बार समझाये बेटा चले जाओ ज्वाइन करलो, परन्तु हमरा पर तो SSC का भुत तांडव कर रहा था, कलर्क बनने का परमसुख जो प्राप्त करना था। एसएससी CHSL15 मे 145.25 नम्बर लाये थे, मज़ाक है (यहाँ यह बताना जरुरी है की वर्ष 2015 तक एसएससी मे 140+ अंक लाने वालो को भगवान का दर्ज़ा दिया जाता था)। उधर सगे सम्बन्धी का टॉर्चर अलग, सब बोलते थे की फलनवा का लडक़वा पगला गया है, नौकरी छोड़ के आ गया वो भी रेल के नौकरी (हमारे बिहार झारखण्ड मे रेल की नौकरी UPSC से भी ऊपर मानी जाती है)। कुछ अल्ट्रा C पड़ोसियों का कहना था की इसको नौकरी से निकाल दिया गया है और मैं चुपचाप ये सब प्रताड़ना झेल रहा था हालांकि ये सब तो तैयारी के दौरान हुए फ़ज़ीहत से कम ही था। मोहल्ले के भैया, दीदी सब BTech, MTech, MSc, पीजी, लॉ, लहसुन और ना जाने क्या क्या कर के या तो रेलवे, बैंक का तैयारी कर रहे थे या घर की सब्ज़ी धो रहे थे। बोतल मे पानी भरके फ्रीज मे रखना तो उनका परम कार्य था। उधर हमारे पास ना कोई डिग्री थी, ना कोई मैडल और ना ही कोई पैरवी फिर भी बोरा स्कूल मे पढ़ने वाला बच्चा एसएससी के सपने देख रहा था। ना कोई कोचिंग ना कोई ट्यूशन बस सेल्फ स्टडी। [और तो और जनरल केटेगरी होने का अभिशाप अलग। ] कुछ दिन बाद एसएससी CGL2016 के MAINS का रिजल्ट प्रकाशित हुआ जिसमे मैं सफल घोषित हुआ, अब तो चारो तरफ बस हमारा ही डंका बज रहा था। बच्चा पहले ही attempt मे mains क्लियर कर लिया था, सब खुश थे पर हमको पता था की फाइनल मेरिट मे मेरा फिर से कटेगा पर फिर भी हमको डर नहीं था काहे की CHSL15 को स्टैंड बाई मोड पर रखे हुए थे। कहते हैँ ना की भगवान जब भी देता है छप्पर फाड़ के देता है 17 जुलाई 2017 को मेरी एक पुरानी महिला मित्र मेरे संपर्क मे आयीं हालांकि उनसे मेरी बात बीच बीच मे होती रहती थी परन्तु इस बार बात कुछ अलग थी। धीरे धीरे हमदोनो एक दूसरे को पसंद करने लगे और जल्द ही प्रेम नाम की कश्ती हमदोनो की भावनाओ मे हिलोरे मारने लगी,हालांकि मैंने उनसे बार बार ये कहा की मैं आपके लायक नहीं हूं लेकिन उन्होने सहर्ष ही मुझे अपनाया (सच कहूं तो मैं भी उन्हें खोना नहीं चाहता था)। स्कुल के दिनों से मैं उन्हें जानता था सभ्य एवं संस्कारी। फिर तो 24 घण्टे बस फ़ोन पर बात और बाबू सोना, उनसे हरेक पल बात करना ही हमारे जिंदगी का मकसद बन चूका था। उनकी जिंदगी के हर पल को मैं खुद मे समेटना चाहता था और तो और मैं ये मान चूका था की हमदोनो एक हैँ, पढ़ाई तो बस नाम की हो रही थी फिर भी सबकुछ सेट था नयी नौकरी मिलने वाली थी, संगिनी मिल चुकी थी,परिवार मे सभी लोग खुश थे। 5अगस्त 2017 को SSC CGL 16 का फाइनल रिजल्ट आया और मैं लिस्ट से बाहर था, बहुत दुख हुआ पर AS USUAL मैं बाहर से खुश था।(क्योंकि दुखी होने से भी कुछ हासिल नहीं होता) अब तो बस एक ही सहारा था CHSL 15। इस दरम्यान मैंने Sub Inspector in Jharkhand Police (दरोगा) का Exam भी हलके मन से दे दिया और CHSL16 में भी नाम आ गया। उधर chsl 15 से मुझे कैंटीन भंडार विभाग, भारत सरकार के अधीन असम मे पोस्टिंग मिली. जाने की इच्छा तो बिलकुल नहीं थी पर मरता क्या ना करता। दिसंबर-जनवरी मे मैं असम चला गया पर बदकिस्मती ने मेरा पीछा नहीं छोड़ा,मेरे असम जाने के कुछ दिनों बाद ही मेरी संगिनी बिना वजह मुझसे अलग हो गयी (उनके लिए वजह मेरा BC बोलना था, यहाँ मैं यह बताना चाहूंगा की ये slang मैं 2010 से ही बोल रहा हूं पर परेशानी उन्हें मेरे असम आने के बाद ही हुयी) मैंने लाख कोशिश की सबकुछ सही करने की, वो मेरे caste की भी थीं और मैंने बहुत कुछ सोचा था हमारे भविष्य के लिए पर उन्होंने तो जैसे मन बना लिया था अलग होने का, सीधे रुप मे कहे तो ये तथाकथित योजना पहले ही बना ली गई थी जिसको मुर्त रुप मेरे असम आने के बाद दी गई। (भला कोई बहुत पढ़ी लिखी और अच्छे घराने की लड़की एक क्लर्क के साथ , ऩ ऩ) मैं नया था असम मे ना कोई दोस्त नाही कोई जान पहचान वाला जिस समय मुझे उनकी सबसे ज्यादा जरूरत थी उसी समय वो अंतर्ध्यान हो गयीं। जब बार बार मैंने उन्हें फ़ोन किया तो मिनिस्टर से लेके FIR तक की धमकी मिली, यहाँ तक की उनके कथित दोस्तों ने मेरे परिवार का चारित्रिक दोहन भी किया जिनके बारे आजतक मैंने कुछ बुरा नहीं कहा। रात रात भर उनका फ़ोन वेटिंग मे जाना और लास्ट सीन देखके मैं हक़ीक़त जान चूका था पर फिर भी मैं ये स्वीकार नहीं कर पा रहा था सबकुछ ख़त्म हो चूका है। उनके आखिरी शब्द आज भी याद है : [तुम क्लर्क ही रह जाओगे ] मेरे दोस्तों और भाइयो ने समझाया की आपको टेंशन लेने की ज़रूरत नहीं है बहुत आती है बहुत जाती हैँ, लेकिन सबकुछ इतना आसान नहीं था, असम मे बस दिन भर ड्यूटी और रात मे घरवालों से बात करना ही रूटीन बन चूका था। घरवाले भी जानते थे की बच्चे को आघात तो पहुंचा हैं इसीलिए वो हमेसा इधर उधर की बात करके मेरा ध्यान बटाते थे ताकि मैं उस कंटाहन के प्रकोप से निकल पाऊं। नये दोस्त बनाने की कोशिश की कुछ सिल्चर के अच्छे दोस्त भी बने परन्तु वो बात किसी मे नहीं थी, ना खाने का पता था ना कुछ और हम खुद को एक नाकारा इंसान ही समझ रहे थे। मुझे किसी तरह एक अच्छी जॉब लेके इस दाग़ को धोना था। 27 फरवरी 2018 को दरोगा (Sub Insp) का रिजल्ट प्रकाशित हुआ और मैं सफल घोषित हुआ, मुझे शारीरिक परीक्षा के लिए बुलाया गया। 20 March को रांची के डोरंडा मैदान मे 10किमी के दौड़ मे मेरे कानो मे बस एक ही गाना प्ले हो रहा था "ठुकरा के मेरा प्यार मेरा इन्तेक़ाम देखेगी"। इस तरह मैं झारखंड पुलिस मे Sub Inspector के पद पर अंतिम रूप चयनित हुआ। मैं रुका नहीं हूं आगे की परीक्षाओं के लिए प्रयासरत हूं, हाँ क्लर्क होने का दाग़ तो धूल चूका है। ईश्वर से बस एक ही प्रार्थना करता हूं की मेरी अच्छाई को बनाये रखे और अगर कोई बुरी प्रवृति मुझमे है तो उसको ख़त्म करें। मैंने ईश्वर को दिल मे माना है इसीलिए ब्राह्मण होते हुए भी मैं पूजा पाठ से इत्तर अपने कर्म को प्रधानता देता हूं। अब बस जिंदगी का एकमात्र लक्ष्य यही है की माता पिता की भरपूर सेवा कर सकूँ। यहाँ मैं अपनी माताजी को specially मेंशन करना चाहूंगा जिन्होंने सुखदुख,अच्छे बुरे हरेक समय मे न केवल मेरा साथ दिया बल्कि मेरे साथ मेरी ढाल बनके खड़ी रहीं। उनका इतना स्नेह ही मेरे सफलता की कुंजी है। हाथ मे बहुत दर्द होने लगा है टाइप करते करते तो मैं इस लेख को विराम देता हूं, साथ ही भारतीय जीवन बीमा निगम के सह-प्रबंधक पद के लिए मेरा अनंतिम रुप से चयन हुआ है जिसके साक्षात्कार की भी तैयारी करनी है।